जानिए क्या है दुर्गा पूजा ?और इससे लोग क्यों मनाते हैं ?और इसके पूरी कहानी क्या है ? What is Durga Puja? And why do people celebrate it? And what is its full story?

दुर्गा पूजा क्या है ?और इससे लोग क्यों मनाते हैं ?और इसके पूरी कहानी क्या है ? What is Durga Puja? And why do people celebrate it? And what is its full story?

इस बार मां दुर्गा पूजा के लिए कलश यात्रा और उसकी स्थापना 29 सितंबर को होगी। जिसके बाद भक्तगण मां दुर्गा की पहली स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजा अर्चना करते हैं। पूजा करने वाले अथवा व्रत करने वाले लोग दुर्गा पूजा में विभिन्न पूजा सामग्री जुटते हैं। विधि पूर्वक नबो दिनों के लिए अखंड ज्योति की स्थापना करते हैं इसके बाद सप्तशती दुर्गा पाठ अथवा दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं।और मां को विभिन्न प्रकार के फलो और मिठाइयों का भोग लगाते हैं। मां जगदंबा अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती है। और उनका कष्ट हरण कर लंबी आयु की वरदान देती है। मां शक्ति की व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करना चाहिए और उचित फलाहार ही करना चाहिए। इसी तरह मां के विभिन्न रूपों जैसे दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवी दिन स्कंदमाता, छठवां दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवीं दिन महागौरी और नवमी दिन सिद्धिदात्रि की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
Durga Puja? And why do people celebrate it? And what is its full story

Durga Puja? And why do people celebrate it?


नवरात्रि में लोग आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि के लिए मां भवानी का उपवास करते हैं और भजन,पूजन योग साधना करते हैं। और नवो दिन दुर्गा सप्तशती की पाठ करते हैं और कन्या पूजन करते हैं कन्या भोजन करवाते हैं।
Navratri 2019
Navratri 2019

नवरात्रि की पूजा सामग्री

मां दुर्गा जी की प्रतिमा अथवा तस्वीर, एक पीढ़ी और एक लाल अथवा पीला कपड़ा जिस पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखी जाएगी, दुर्गा जी के वस्त्र के लिए लाल चुनरी, कलश के लिए एक आम का पल्लव, दीपक जलाने के लिए दीप, सरसों तेल अथवा तिल का तेल से ही दीप जलाएं, एक जटायुक्त नारियल, पूजा के लिए पुष्प, एक माला, दुर्गा पाठ के लिए दुर्गा सप्तशती का किताब अथवा दुर्गा चालीसा का किताब, एक कलावा, सिंदूर गंगाजल बेलपत्र सुपारी अक्षत पान का पत्ता , एक श्रृंगार सामग्री, मखान , मिठाई कोई पांच प्रकार का फल प्रसाद के लिए इत्यादि सामग्री पूजा के लिए तैयार रखें।
navratri mein puja karne ki vidhi

navratri puja

नवरात्रि में पूजा करने की विधि (navratri mein puja karne ki vidhi)

नवरात्रि के दिनों में भक्तों को सवेरे उठकर नहा धोकर कलश स्थापित करना चाहिए और उसके नीचे जमीन पर जौ बोना चाहिए और कलश पर कुलदेव की मूर्ति अथवा नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखना चाहिए। और नवो दिन अखंड दीप जलाकर विधि पूर्वक मां भवानी की आराधना दुर्गा सप्तशती पाठ अथवा दुर्गा चालीसा पाठ करना चाहिए मक्खन, फल, मिठाई इत्यादि का भोग लगाना चाहिए

दुर्गा पूजा हर साल क्यों मनाया जाता है?
जाता है?durga pooja har saal kyon manaaya jaata hai.( Why Durga Puja is celebrated every year )

Why Durga Puja is celebrated every year

Durga Puja is celebrated 


पौराणिक कहानियों के मुताबिक महिषासुर नामक एक असुर रहा करता था। जिसका आधा रूप असुर का था ,और आधा भैंस का था उस दानव ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की जिसके बाद ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उसे वर मांगने को कहा तो उस महिषासुर ने ब्रह्माजी से यह वरदान मांगा कि, हे ब्रह्माजी मुझे ना कोई देवता मार सके ना ही कोई असुर मार सके और ना ही कोई मनुष्य के हाथों मेरी मृत्यु हो, तो ब्रह्माजी ने तथास्तु कहकर उन्हें वर दिया। और वहां से चले गए, इसके बाद वह दानव अपने आप को अमर समझने लगा ,और वह देवी-देवताओं पर अत्याचार करने लगा और अपनी शक्तियों का प्रयोग करके वह देवराज इंद्र की गद्दी उससे छीन ली और स्वर्ग लोक पर अपना अधिकार जमाने लगा इसके बाद सारे देवी देवताओं उससे भयभीत होने लगे। और इस समस्या का समाधान के लिए उन्होंने ब्रह्मा विष्णु महेश से जाकर सारी बात बताई। जिसके बाद तीनों देवताओं ने विचार विमर्श करके, एक दिव्य ज्योति का निर्माण किया। ऐसी ज्योति पहले कभी नहीं देखी गई थी ,इस ज्योति से दस हाथों वाली देवी दुर्गा प्रगट हुई तब सारे देवताओं ने उन्हें भिन्न-भिन्न अस्त्र शास्त्र से उन्हें सुसज्जित किया जैसे ब्रह्मा जी ने उन्हें कमंडल दिए, भगवान शिव जी ने उन्हें त्रिशूल दिए, विष्णु जी ने उन्हें चक्र दिए ,हिमालय ने उन्हें सवारी के लिए सिंह दिए, विश्वकर्मा ने उन्हें कुल्हारी दिए, सागर के देवता ने उन्हें तीर तरकश दिए, इत्यादि अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर मां भवानी ने महिषासुर का वध करने के लिए चली गई। नौ दिनों तक घमासान युद्ध के बाद दसवे दिन मां दुर्गा ने अपनी त्रिशूल से महिषासुर का गला काट दिया इसके बाद फिर से देवी देवताओं में सुख शांति स्थापित हुई। जिसके बाद मां दुर्गा की एक और नाम महिषासुर मर्दिनी नाम प्रचलित हुआ।

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